मुलाकाती सूचना
उपासना मंदिर (प्रार्थना भूमि)
गांधीजी के विचार में प्रार्थना आत्मा का सर्वेश्रेष्ठ भोजन है। यह महत्वपूर्ण निजी और राष्ट्रीय महत्व के निर्णयों को लेने में उनकी मदद करती थी। अतः, प्रातः कार्य शुरू करने से पहले और शाम को समाप्ति पर, वे इसी स्थान पर आश्रमवासियों के साथ नियमित रूप से प्रार्थना किया करते थे। वे भजन-स्तुतियों को सुना करते थे और समय-समय पर गीता, कुरान तथा बाइबिल का पाठ भी किया करते थे।
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