महात्मा गांधी का शाब्दिक अनुवाद जो भारत के लोगों ने गांधीजी को दिया है वह है 'महान आत्मा', महा, आत्मा । यह शब्द वापिस उपनिषिद को जाता है, जहां इसका प्रयोग सर्वोच्च होने के लिए बोला जाता है और यद्यपि ज्ञान और प्रेम के जोड़ से वह उनके साथ एक बन गया:
"वह एक प्रकाशमान, सभी का निर्माता, महात्मा लोगों के दिलों में सदैव प्रतिष्ठापित हो गया, प्रेम, दूरदर्शिता के द्वारा प्रकट हुआ और यद्यपि, जो भी उसे जानता है, अमर हो जाता है................."
आश्रम के भ्रमण पर कवि रबीन्द्र नाथ टैगोर ने एक पद्य का उदाहरण दिव्य संदेशवाहक का संदर्भ देते हुए किया।
गांधीजी को 'महात्मा' नाम आम सहमति से दिया गया, शायद सामान्य शब्दों में "'संत"। इसमें कोई संशय नहीं कि उनके कुछ शब्द, निस्वार्थता से परे (ऊंची समझ से मात्र निस्वार्थता से बढ़कर) हैं, जो सही अर्थों में उन पर ही लागू हुए।
- डॉ. आनंद के. कुमारस्वामी
('गांधी - द एवर स्मालिंग महात्मा' से लिया गया।
एस. दुरारी राजा सिंगम की 'ए स्टडी ऑफ गांधीयन ह्युमर')
महात्मा गांधी की आत्मकथा "द स्टोरी ऑफ माई एक्सीपैरिमेंट विद ट्रुथ" की ऑनलाइन कॉपी पढ़ने के लिए, निम्न पर जाएं
https://www.gandhiheritageportal.org/mahatma-gandhi-books/the-story-of-my-experiments-with-truth-volume-one