मुलाकाती सूचना
विनोबा-मीरा कुटीर
गांधीजी ने विनोबा भावे जी का सत्य के प्रति उनकी सम्पूर्ण प्रतिबद्धता के लिए "एक आदर्श सत्याग्रही" के रूप में अभिवादन किया। वे यहां पर 1918 से 1921 तक रहे। बाद में, उन्होंने भारत में भूमि दान के लिए एक क्रांतिकारी आंदोलन 'भूदान आंदोलन' का नेतृत्व किया। मेडीलीन स्लेड, एक ब्रिटीश एडमिरल की पुत्री, गांधीजी की विचारधाराओं के प्रति समर्पित थी जोकि उसने रोमन रोलेंड की पुस्तक से सीखी थी। गांधीजी उनको मीरा कहा करते थे। वे आश्रम की गतिविधियों में सहायता करती थी। वे भी यहां पर 1925 से 1933 तक रहीं।